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बात ज्यादा पुरानी नहीं है , बारहवी के नतीजे के बाद चर्चा हो रही थी कि बच्चों को क्या पढ़ाया जाए। ऐसे में हरीश ने बोला, मैं अपने बेटे को विदेश भेजूंगा। और ये चाहूंगा कि वो वहीं बस जाए। सुन कर थोड़ी हैरानी हुई। हरीश के पास तीन चार फैक्टरी हैं। व्यापार अच्छा है, पैसे की कमी नहीं। घरेलू किस्म का व्यक्ति है लेकिन बेटे को विदेश भेजने के लिए तैयार है। सिर्फ पढ़ाने  के लिए नहीं बल्कि वहां पर बसने के लिए। क्यों ........ और मेरे मन में आया लो इस पर तो विदेश का भूत सवार है.... बाहर की चमक धमक इसे रास आ रही है। देश प्रेम के जितने गाने याद थे वो सब एक क्षण में दिमाग में आ गए। भारतीय परंपरा और संस्कृति की सारे दलीले दिमाग में तैयार हो गई। और मैं पूरी तरह से तैयार थी एक लंबा चौड़ा भाषण देने के लिए। अपना देश अपने लोग विदेश में सेंकेड सीटिजन आदि आदि... क्यों..... विदेश से लोग यहां पर पढ़ने के लिए आते हैं, इलाज के लिए आते हैं, हम लोग विदेशियों की नौकरी क्यों करें.... ऐसा क्या है उनके पास जो हमारे पास नहीं है.. उसका जबाब बड़ा सादा था...  क्वालिटी ऑफ लाइफ... साफ पानी, साफ हवा, शुद्ध खाना.... अच्छ